Not known Details About Shiv chaisa
Not known Details About Shiv chaisa
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जिस दिन, जुबाँ पे मेरी.. जिस दिन, जुबाँ पे मेरी, आए ना शिव का नाम
माथे पे चन्द्र सोहे अंगो पे विभूति लगाये
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
शिव के चरणों में मिलते हैं सारी तीरथ चारो धाम
देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ को कोटि प्रणाम, नील कंठ को कोटि प्रणाम
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
नाथ असुर प्राणी सब पर ही भोले का उपकार हुआ।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
रात Shiv chaisa मेरे सपनो में आया, आ के मुझ को गले लगाया।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया